Saturday, April 27, 2024
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‘वितमंत्री निर्मला जी की आलोचना नहीं, प्रशंसा कीजिये जनाव’

 

अंतरिम बजट 2024/ राजेश मिश्र

जी हां, बिना किसी लोक-लुभावन फुलझड़ी के बजट पेश करने पर वितमंत्री की प्रशंसा इसलिये भी होनी चाहिये कि निर्मला सीतारमण ने पहले ही कह दिया था, माफ करना- अंतरिम बजट में कोई धमाका नहीं होगा, बस सरकार आमदनी-खर्च का हिसाब दे देगी। ऐसा ही हुआ, वह अपनी बात पर कायम रहीं। कहना चाहिये कि बजट में कोई फुलझड़ी नहीं थी , कोई चुनावी वायदे नहीं थे।
ये मोदी सरकार 2.0 का आखिरी बजट है। हांलाकि ये सिर्फ 4 माह के लिए है, इसलिये ये अंतरिम बजट कहा जाएगा। इस बजट में सरकार ने सभी तबकों का ध्यान रखते हुये चुनावी छाप और बड़े-बड़े वादों की जगह ठोस कामों को जगह मिली है।
संसद के संयुक्त सत्र में निर्मला सीतारमण ने ‘सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास’ के मंत्र और ‘सबका प्रयास’ के दृष्टिकोण के साथ चार प्रमुख वर्गों यानी गरीब, महिलाएँ, युवा एवं अन्नदाता (किसान) को ऊपर उठाने पर फोकस किया।
लोकसभा में मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल के आखिरी अंतरिम बजट को पेश करते हुए वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने 58 मिनट के बजट भाषण को अपने पिछले पांच बजटों को ही आगे बढ़ाने पर फोकस रखा। उनका पूरा जोर मोदी सरकार के दस वर्षों के कार्यकाल की आर्थिक उपलब्धियों को गिनाने के साथ वर्ष 2047 तक देश को विकसित राष्ट्र की पंक्ति में खड़ा करने करने पर रहा। उन्होंने ढांचागत व्यवस्था में ज्यादा पैसे खर्च कर देश की आर्थिक विकास दर की रफ्तार तेज करने के अपने आजमाए नुस्खे को और आगे बढ़ाया है।
वितमंत्री सीतारमण ने कहा कि सबका विकास के साथ अगले पांच वर्ष अभूतपूर्व विकास के और वर्ष 2047 तक विकसित भारत के सपनों के साकार करने का स्वर्णिम क्षण होगा। वित्त मंत्री ने दो बार यह याद दिलाया कि उनकी सरकार वर्ष 2047 तक विकसित भारत बनाने का रोडमैप बना रही है। साथ ही यह घोषणा कर डाली कि जुलाई में पेश होने वाले पूर्ण बजट में इसका रोडमैप पेश किया जाएगा। साथ ही यह याद दिलाया कि वर्ष 2014 तक देश की आर्थिक स्थिति बहुत ही चुनौतीपूर्ण थी और मोदी सरकार की नीतियां विकसित भारत के सपने को साकार कर रही हैं।
तिलहनए दलहन व दुग्ध व मछली पालन को प्रोत्साहित कर किसानों की आय को बढ़ाने के उपाय कर राजनीतिक संतुलन भी साधने की कोशिश की गई है। बेरोजगारी, महंगाई पर सवाल उठा रहे विपक्ष को पूर्व यूपीए सरकार के आर्थिक कुप्रबंधन पर श्वेत पत्र लाने का ऐलान कर करारा जवाब भी दिया गया है।
मोदी सरकार की तरफ से हाल के वर्षों में दिए गए सभी नारों का कहीं ना कहीं इस्तेमाल किया गया। साथ ही जातिगत गणना के मुद्दे को हवा दे रहे विपक्ष के सामने वित्त मंत्री ने गरीब, महिलाएं, युवा और अन्नदाता को चार प्रमुख जातियों के तौर पर चिन्हित किया और साफ किया कि इनके कल्याण से ही देश आगे बढ़ेगा। लगे हाथ वित्त मंत्री ने अगली पीढ़ी के सुधार कार्यक्रम के भी संकेत दे दिया। इसका मुख्य सिद्धांत रिफॉर्म, परफॉर्म और ट्रांसफॉर्म होगा।
गौरतलब है कि चुनावी साल में रोजगार मुद्दा बना रहा है। सरकार नई प्रौद्योगिकी, खाद्य प्रसंस्करण जैसे क्षेत्रों में नए रोजगार के अवसर देख रही है। जाहिर है कि एक करोड़ घरों के छतों पर सौर प्रणाली लगाने में काफी रोजगार के अवसर मिलेंगे। इसी तरह से नए प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में आसानी से बहुत ही सस्ती दर पर या शून्य ब्याज पर कर्ज देने के लिए एक लाख करोड़ रुपये का एक फंड बनाने का ऐलान किया है जो अनुसंधान के साथ ही रोजगार के मोर्चे की चुनौतियों को भी साधेगा।

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