- राजेश मिश्र
पीएम मोदी का ऑस्ट्रेलिया में इंतजार हो रहा है, जहां उनका मेगा शो होगा. यहां तक कि सिडनी के हैरिस पार्क इलाके का नाम भी बदलकर‘ लिटिल इंडिया’ किया जाएगा.
गौरतलब है कि पीएम मोदी अपने 6 दिवसीय विदेश दौरे पर हैं. पहले वे जापान गए और फिर वे पापुआ न्यू गिनी गए. जहां उनका बड़ी गर्मजोशी के साथ स्वागत हुआ. और अब वे पापुआ न्यू गिनी से रवाना हो चुके हैं और अब अगला पड़ाव है सिडनी. वहां उनकी मुलाकात ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी एल्बनीज से होगी। गौरतलब है कि मोदी 2014 में राजीव गांधी के बाद ऑस्ट्रेलिया जाने वाले दूसरे प्रधानमंत्री है. प्रधनमंत्री मोदी सिडनी के ओलिंपिक पार्क में 20 हजार से ज्यादा भारतीय मूल के लोगों को भी संबोधित करेंगे। मोदी के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए लोगों को सैंकड़ों गाड़ियों और प्राइवेट चार्टर से लाया जा रहा है। जिसे मोदी एयरवेज नाम दिया गया है.
मोदी के शुरुआती शेड्यूल के मुताबिक उन्हें ऑस्ट्रेलिया क्वार्ड की बैठक के लिए जाना था। हालांकि अमेरिका में चल रही कर्ज की समस्या के कारण बैठक को जी-7 शिखर के दौरान जापान में ही कर लिया गया। इसके बावजूद प्रधनमंत्री मोदी ने ऑस्ट्रेलिया का दौरा रद्द नहीं किया। ऑस्ट्र्लिया दौरे पर वो प्रधानमंत्री एंथनी एल्बनीज के साथ दोनों देशों के द्विपक्षीय संबंधों पर बात करेंगे.
श्रोत न्यूज एजेंसी ANI
उल्लेखनीय है कि जब प्रधानमंत्री मोदी रविवार शाम जापान के बाद पापुआ न्यू गिनी पहुंचे. थे तब एयरपोर्ट पर प्रधानमंत्री जेम्स मारापे ने उनके पैर छूकर आर्शीवाद लिया था. इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मारापे की पीठ थपथपाते हुए उन्हें उठाया.प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस शिखर सम्मेलन में कहा कि मेरे लिए आप छोटे द्वीप देश नहीं, बल्कि एक बड़े महासागर वाले देश हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत बहुपक्षवाद में विश्वास करता है और स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र का समर्थक है। यह सुनते ही सभी सदस्य देश जरूर गदगद हो गए होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पापुआ न्यू गिनी के प्रधानमंत्री जेम्स मारापे के साथ तीसरे भारत-प्रशांत द्वीप समूह सहयोग शिखर सम्मेलन की सह-अध्यक्षता की।
गौरतलब है कि मोदी पापुआ न्यू गिनी की यात्रा करने वाले भारत के पहले पीएम हैं। वह छोटे से देश के साथ संबंधों को रणनीतिक व आर्थिक स्तरों पर एक ऊंचे मुकाम पर ले जाना चाहते हैं। उन्होंने रवाना होने से पहले कहा भी था कि प्रशांत द्वीप राष्ट्रों के साथ जलवायु परिवर्तन, सतत विकास, स्वास्थ्य आदि क्षेत्रों के अलावा ढांचागत और आर्थिक विकास को आगे बढ़ाने के इच्छुक हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पापुआ न्यू गिनी यात्रा कुछ मायने में ऑस्ट्रेलिया और जापान की तुलना में ज्यादा अहम मानी जा रही है। दरअसल, भारत की तुलना में बेहद छोटा-सा यह द्वीप राष्ट्र संसाधनों के मामले में तो समृद्ध है ही, भौगोलिक स्थिति के कारण भी खास अहमियत रखता है। चीन ने रणनीतिक रूप से खुद को मजबूत करने के लिए पिछले कुछ सालों से इस द्वीप राष्ट्र पर नजरें टिका रखी हैं। दोनों देशों के बीच नजदीकी भारत-प्रशांत क्षेत्र के पूरे रणनीति ढांचे के लिए चुनौतियां बढ़ाने वाली है।