“आज भारत के आदर्श अपने हैं, आयाम अपने हैं. आज भारत के संकल्प अपने हैं, लक्ष्य अपने हैं. आज हमारे पथ अपने हैं, प्रतीक अपने हैं.” ऐसा कहना है प्रधानमंत्री मोदी जी का. कितने सटीक और आत्मविश्वास से भरे शब्द हैं, हम क्यों गुलामी की धरोहरों को संजोये बैठे हैं?
भारत का संसद भवन, लोकतंत्र का मंदिर , हमारे संवैधानिक ढांचे का मेरुदंड है. इसका निर्माण भी शानो शौकत और संपूर्ण भव्यता के साथ किया जाना चाहिये.